soil-erosion
प्रस्तावना मृदा कृषि का आधार है। यह मनुष्य की आधारभूत आवश्यकताओं, यथा- खाद्य, ईंधन तथा चारे की पूर्ति करती है। इतनी महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी मिट्टी के संरक्षण के प्रति उपेक्षित दृष्टिकोण अपनाया जाता है। फलतः मिट्टी अपनी उर्वरा शक्ति खोती जा रही है। मृदा अपरदन वस्तुतः मिट्टी की सबसे ऊपरी परत का क्षय होना है। सबसे ऊपरी परत का क्षय होने का अर्थ है-समस्त व्यावहारिक प्रक्रियाओं हेतु मिट्टी का बेकार हो जाना। मृदा अपरदन प्रमुख रूप से जल व वायु द्वारा होता है। यदि जल व वायु का वेग तीव्र होगा तो अपरदन की प्रक्रिया भी तीव्र होती है। मृदा अपरदन के प्रकार मृदा अपरदन के निम्नलिखित प्रकार है सामान्य अथवा भूगर्भिक अपरदन: यह क्रमिक व दीर्घ प्रक्रिया है; इसमें जहां एक तरफ मृदा की ऊपरी परत अथवा आवरण का ह्रास होता है वहीं नवीन मृदा का भी निर्माण होता है। यह बिना किसी हानि के होने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया है। तीव्र अपरदन: इसमें मृदा का अपरदन निर्माण की तुलना में अत्यंत तीव्र गति से होता है। मरुस्थलीय अथवा अर्द्ध-मरुस्थलीय भागों में जहां उच्च वेग की हवाएं चलती हैं तथ...